
हे महाराजाधिराज यानी राजकुमार! कई साल हुए, जब आपके वहां वाली महारानी हमारे यहां आईं थीं और तब- बकौल बाबा नागार्जुन, जवाहर लाल की यही राय हुई थी कि हम उनकी यानी महारानी की पालकी ढोएंगे। अब महारानी न सही आप तो हैं और जवाहर लाल न सही हम तो हैं। जब से हमने सुना है कि तुम आ रहे हो, तो हमने भी यही राय कर दी है कि हम तुम्हारी पालकी ढोएंगे और जरूर ढोएंगे। तुम नहीं जानते कि तुम्हारे आने की खबर हमारे लिए कितनी बड़ी खुशी का विषय है। हमने तुम्हारे आने के लिए पलक-पांवड़े बिछा लिए है। हालांकि तुम्हारी आदत कुछ दादागिरी करने की है, और तुम्हारी इस आदत के कारण कई बार लोग तुम्हारा विरोध करते हैं, लेकिन यहां हमने इस बात की पूरी व्यवस्था कर दी है कि ऐसा कोई नहीं कर सके। हां, वो अंरुधती राय पिछले रोज राजघाट में गई थी विरोध करने, लेकिन उसके ऐसा करने से कोई फर्क नहीं पड़ता, हमने गांधी जी को पहले ही आउटडेटेड घोषित कर दिया है और हम उनकी अहिंसा और वो सब बातें काफी पहले भूल चुके हैं, इसलिए तुम मजे में यहां आ जाओ, बिना किसी चिन्ता के। जैसा कि मैंने कहा, हम पालकी ढोने के लिए कंधों पर तेल मालिश करके बैठे हुए हैं।
हे राजाजी! हमारे देश में अब बाबा नागार्जुन जैसे जनवादी किस्म के कवि भी नहीं हैं, जिन्होंने आपके देश की महारानी की पालकी ढोने वाली कविता बड़े ही व्यंग्यात्मक लहजे में लिखी थी, अबकी तो हम सचमुच ही बहुत ही विनम्र भाव के साथ तुम्हारी पालकी ढोएंगे, बस तुम आ जाओ।
हमने तुम्हारे स्वागत में क्या-क्या किया है, यह जानकार हमें उम्मीद है कि तुम जरूर खुश हो जाओगे। हमने हर संभव प्रयास किया है कि जो-जो चीजें तुम्हें पसंद हैं, वे सब थाली में परोसकर तुम्हारे सामने रखी जाएं। तुम लंबे समय से कह रहे थे कि तुम्हारे यहां का गेहूं खप नहीं रहा है, भंडारण ज्यादा हो रहा है। हमारे यहां भी यही हो रहा था, लेकिन हम तुम्हारे प्रति वफादार हैं, लिहाजा हमने अपने गेहूं से ज्यादा तुम्हारे गेहूं की चिन्ता की और तुम्हारे यहां से 50 लाख टन गेहूं खरीदने की मंजूरी दे दी। जहां तक हमारे यहां के गेहूं का सवाल है तो हम दो-चार सालों तक तुम्हारे यहां का गेहूं सस्ते में बेचते रहेंगे तो हमारे यहां के किसान, जैसा कि तुम्हें पता होगा, खुद को बड़ा ही तुर्रमखां किस्म का मानते हैं, खुद ही गेहूं पैदा करना बंद कर देंगे। वैसे भी एक बात, जो बड़े ही अंदर की बात है, और किसानों तक नहीं पहुंचनी चाहिए, हम तुम्हें बता दें कि हमने अपने यहां के किसानों को यह बताना शुरू कर दिया है कि अनाज की नहीं फूलों की खेती करो। नकद नारायण मिलेगा। यह सब हमने तुम्हारे यहां गोदामों में सड़ रहे गेहूं को अपने यहां खपाने के लिए ही तो किया है।
तुम्हारे देश की एक दवा कंपनी है, जो बर्ड फ्लू नाम की एक बीमारी की दवा बनाती है। हमने पिछले दिनों न सिर्फ उस दवाई को अपने यहां बेचने की अनुमति दे दी है, बल्कि पहले ही झटके में यह दवा हमारे यहां मोटा कारोबार कर दे, इसलिए हमने अपने यहां बर्ड फ्लू भी फैलवा दिया है। और राजाजी हमें आपको यह बताने में बड़ा गर्व अनुभव हो रहा है कि हमारे यहां का मीडिया भी तुम्हारे काम में पूरा साथ दे रहा है। पीठ पीछे की बात नहीं है, पिछले एक हफ्ते की अखबार उठाकर देख लो, हमने तो थोड़ा सा ही बर्ड फ्लू फैलाया था, मीडिया ने इतना फैलाया कि बस दिल क्या कहते हैं उसे, बाग-बाग हो गया। स्थिति यह है कि लोग तुम्हारे देश की उस कंपनी की दवा पर टूट पड़े हैं। अंदर की एक और बात यह भी है कि अभी तक हमारे यहां किसी एक व्यक्ति तो क्या, मुर्गे को भी बर्ड फ्लू जैसी कोई बीमारी नहीं हुई है।
हे राजाजी! इस बर्ड फ्लू के नाम पर हमने तुम्हारी पसंद का एक और काम किया है। हमने अपने यहां की मुर्गियों को मारने का काम शुरू कर दिया है, अब तुम्हारे यहां की डिब्बा बंद चिकन बेचने वाली कंपनियां भी खूब लाभ कमा सकती हैं। पर जरा आप इस बात का ध्यान जरूर रखना कि जो भी कंपनी डिब्बाबंद चिकन बेचने के लिए आएगी वह अपने डिब्बे के बाहर यह जरूर लिख ले कि यह चिकन बर्ड फ्लू से पूरी तरह से मुक्त है। तुम जानते हो कि इस तरह की बातों में हमारे यहां के लोग खूब विश्वास करते हैं। तुम्हें यह जानकार बड़ी खुशी होगी कि हमारे यहां एक वर्ग ऐसा तैयार हो गया जिसे यहां के नालायक जनवादी किस्म के लोग पश्चिम परस्त कहने लगे हैं। यह वर्ग तुम्हारे यहां की हर चीज को बड़े गर्व के साथ अपनाता है और तुम्हारी कही हर बात उसके लिए ब्रह्मवाक्य होती है। इसीलिए हमारा सुझाव है कि चिकन के डिब्बे के बाहर यह वाक्य लिख लेना, उसके बाद डिब्बे में बंद चिकन की क्वालिटी पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं रह जाएगी।
बाकी तो तुम्हारे लिए हम हमेशा ही हाजिर रहे हैं। पिछले दिनों हमने ईरान के परमाणु कार्यक्रम संबंधी मामले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पास भेजने के मामले में तुम्हारा साथ दिया था। हालांकि हम जानते हैं कि हमें ऐसा नहीं करना चाहिए था, ईरान हमारा पुराना दोस्त है। हम यह भी जानते हैं कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के माध्यम से अब तुम ईरान को तरह-तरह से तंग करोगे। तुम, जैसा तुमने और तुम्हारे उस अमेरिका दोस्त ने जो कुछ इराक के साथ किया, वही तुम ईरान के साथ भी करोगे। मानवाधिकारों का नाम लेकर तुम इराक की तरह ही ईरान में भी मानवाधिकारों का खूब उल्लंघन करोगे, लेकिन फिर भी हमने तुम्हारा साथ दिया, क्योंकि हम सब कुछ देख सकते हैं, लेकिन तुम्हें रूठा हुआ नहीं देख सकते। आखिर हमें पालकी ढोने की पुरानी आदत है और तुम्हारी पालकी ढोकर हम खुद को बेहद गौरवान्वित महसूस करेंगे।
nice
ReplyDeleteसारा देश ही गा रहा है जन गण मन अधिनायक जय हो। बहुत अच्छा व्यंग्य।
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