प्रिय मित्रों!
मैं पिछले लगभग 8 वर्षों से फेसबुक पर हूं से फेसबुक पर हूं। पहले कुछ सालों तक यह सिलसिला बहुत धीमा रहा, लेकिन बाद के दौर के दौर, लेकिन बाद के दौर के दौर में ज्यादा लोग फेसबुक से जुड़ने लगे और सिलसिला तेज हो गया। आज फेसबुक की आभासी दुनिया में मेरे 4000 4000 से अधिक मित्र हैं और मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता है कि फेसबुक के माध्यम से दर्जनों मित्रों से व्यक्तिगत रूप से संपर्क हुआ और अब वे मेरी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा हैं। इन कुछ वर्षों में मेरी कई पोस्टों की मित्रों ने सराहना की तो कई पोस्टों पर मुझे दुत्कारा और फटकारा भी। यह सिलसिला चलता रहेगा। मित्रों से निवेदन है कि अब मैं फेसबुक पर सीधे पोस्ट करने के बजाय अपने इस ब्लॉग पर पोस्ट लिखूंगा ब्लॉग पर पोस्ट लिखूंगा पर पोस्ट लिखूंगा और ब्लॉग का लिंक फ़ेसबुक पर शेयर करूंगा। उम्मीद है आप एक बार फ़ेसबुक पर शेयर करूंगा। उम्मीद है आप एक बार पर शेयर करूंगा। उम्मीद है आप एक बार बार देखेंगे जरूर और प्रतिक्रिया भी देंगे।
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Friday, December 28, 2018
फेसबुक मित्रों से विनम्र निवेदन
Wednesday, December 26, 2018
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मैं पिछले लगभग 8 वर्षों से फेसबुक पर हूं कुछ सालों तक यह सिलसिला बहुत धीमा रहा लेकिन बाद में जैसे-जैसे लोग जुड़ते करें गए वैसे-वैसे यह सिलसिला भी तेज होता चला गया. आज फेसबुक की आभासी दुनिया में मेरे 4000 से अधिक मित्र हैं और मुझे यह कहते हुए फक्र हो रहा है कि मुझे फेसबुक के माध्यम से दर्जनों मित्र मिले जो भौतिक रूप से भी अब जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं.
इन कुछ वर्षों में मेरी कई पोस्ट को लोगों ने सराहना की तो कई लोगों ने मुझे पुकारा और फटकारा भी है यह सिलसिला चलता रहेगा मित्रों से मेरा निवेदन है कि अब मैं फेसबुक पर सीधे पोस्ट करने के बजाय अपने इस ब्लॉग पर पोस्ट लिखूंगा और ब्लॉग का लिंक फ़ेसबुक पर शेयर करूंगा उम्मीद है आप सहयोग बनाए रखेंगे।
धन्यवाद
इन कुछ वर्षों में मेरी कई पोस्ट को लोगों ने सराहना की तो कई लोगों ने मुझे पुकारा और फटकारा भी है यह सिलसिला चलता रहेगा मित्रों से मेरा निवेदन है कि अब मैं फेसबुक पर सीधे पोस्ट करने के बजाय अपने इस ब्लॉग पर पोस्ट लिखूंगा और ब्लॉग का लिंक फ़ेसबुक पर शेयर करूंगा उम्मीद है आप सहयोग बनाए रखेंगे।
धन्यवाद
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About Me
- त्रिलोचन भट्ट
- बसुकेदार रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड, India
- रुद्रप्रयाग जिला के बसुकेदार गाँव में श्री जनानन्द भट्ट और श्रीमती शांता देवी के घर पैदा हुआ। पला-बढ़ा; पढ़ा-लिखा और २४साल के अध्धयन व् अनुभव को लेकर दिल्ली आ गया। और दिल्ली से फरीदाबाद। पिछले १६ साल से इसी शहर में हूँ। यानी की जवानी का सबसे बेशकीमती समय इस शहर को समर्पित कर दिया, लेकिन ख़ुद पत्थर के इस शहर से मुझे कुछ नही मिला.