
वेलेंटाइन-डे पर यह लेख मेरे शहर के उन नव युवक-नवयुवतियों को समर्पित है, जिनके प्यार पर पुलिस का एक अदना सा सिपाही वर्षों से पहरा दिये बैठा है।
कहते हैं, इशक पर जोर नहीं। पर अपने शहर में एक सिपाही जी को पूरी उम्मीद है कि वह अपनी लाठी और अपनी खाकी के जोर पर इस शहर से, और हो सके तो इस पूरी दुनिया से, प्यार का नामोनिशान मिटा देंगे। यूं तो ये सिपाही जी पूरे साल ही प्यार करने वालों के पीछे पड़े रहते है, लेकिन वेलेंटाइन-डे जैसे मौकों का ये बेसब्री से इंतजार करते हैं, ताकि दो-चार लड़के-लड़कियों पर पुलिसिया रोब झाडऩे का मौका मिल सके। इस तरह से वे अपने आपको एक तरफ तो प्रेम को पाप समझने वाली भारतीय परंपरा का वाहक साबित करने का प्रयास करते हैं और लगे हाथ अपनी उस साध को भी पूरी कर लेते हैं, जो जवानी के दौर में शायद पूरी नहीं हुई होगी, हो गई होती तो वे अब ऐसा नहीं करते। सड़क पर यदि एक लड़का और एक लड़की साथ-साथ चल रहे हों तो यह सिपाही जी मान लेते हैं कि वे दोनों आपस में प्रेम कर रहे हैं और अब किसी भी क्षण किसी पेड़ के नीचे या हो सकता है कि बीच सड़क पर ही कुछ ऐसा करने वाले हैं, जो कि सार्वजनिक रूप से नहीं किया जाना चाहिए।
इस संभावित खतरे से निपटने के लिए सिपाही जी, समय रहते सीधे उन तक पहुंच जाते है और डांट-डपट शुरू कर देते है। अक्सर युवक-युवती उसके आदेश को सिर-माथे पर लगाकर वहां से खिसक लेते हैं, लेकिन कभी-कभी कोई भिड़ भी जाता है और सिपाही जी पिट भी जाते हैं। बताते हैं कि इन सिपाही जी के पास बालों का एक गुच्छा है, जब वे इस तरह से पिट रहे होते हैं तो बालों के उस गुच्छे को रीढ़ की हड्डी के ठीक नीचे वाली जगह पर लगाकर हिलाने लगते हैं और पीटने वालों को आश्वासन देते हैं कि अब उनके साथ ऐसा कुछ नहीं करेंगे, लेकिन दूसरे दिन फिर से जब सिपाही जी सड़क पर उतरते हैं कि बालों के उस गुच्छे को नाक के नीचे वाले स्थान पर चिपकाकर उमेठने लगते हैं। शहर के जिस हिस्से में ये सिपाही जी तैनात हैं, वहां उनका बड़ा मान है, ऐसा लोग बताते हैं। इसका एक फायदा यह होता है कि इस इलाके में रहने वाले अखबारों के संवाददातानुमा लोगों को वैलेंटाइन-डे जैसे मौकों पर हर साल एक खबर लिखने को मिल जाती है, जो अक्सर सिपाही जी की तारीफ में लिखी जाती है, खबर के बीच में सिपाही जी का हर साल फोटो भी छपता है, जिसका पैसा संवाददातानुमा लोगों को अखबार अलग से देता है।
बहरहाल हर लड़के-लड़की को प्रेमी युगल मानने वाले इन सिपाही जी के सामने कभी कभी यह भी समस्या खड़ी हो जाती है कि लड़का-लडकी, जिन्हें वे प्रेमी युगल मानकर चल रहे थे, और उन्हें यह आशंका घेरे जा रही थी कि वे कभी भी ऐसा कुछ करने लगेंगे, जो सार्वजनिक रूप से नहीं किया जाना चाहिए, दरअसल प्रेमी युगल नहीं होते, कभी-कभी तो वे भाई-बहन भी होते हैं। पर सिपाही जी तो सिपाही जी ठहरे, उनके हाथ में एक अदद लाठी होती है और शरीर पर एक अदद खाकी। वह उन भाई-बहन को भी सीधी चुनौती दे डालते हैं कि इस तरह से सड़क पर न चलें वरना यहीं सड़क पर खाल खींच देंगे, दरअसल उनके पिटने वाला सीन ऐसे ही मौकों पर सामने आता है। बताते हैं कि कई बार सिपाही जी उन लड़कियों के घर तक भी पहुंच जाते हैं, जो उन्हें सड़क पर किसी लड़के के साथ नजर आ जाती हैं, यह बताने के लिए यह जो तुम्हारी लड़की है, वह प्यार करने लगी है और जब तक वे यहां हैं, तब तक भला उनके इलाके में कोई प्यार कर ही कैसे सकता है? अब जो अभिभावक इस बात को समझते हैं कि बच्चे प्यार इसी उम्र में करते हैं, वे तो सिपाही जी को भगा देते हैं, बाकी लोग उनका शुक्रिया अदा करते हैं और आश्वासन देते हैं कि अब उनके रहते, यानी कि सिपाही जी के रहते उनकी लड़की कतई प्यार नहीं करेगी।
जहां तक लड़कों की बात है तो उनकी शिकायत करने के लिए वे उनके घर नहीं जाते। इसका एक कारण यह भी है कि शहर के इस इलाके में लड़कों को इस तरह के कार्य करने की एक तरह से छूट है और सिपाही जी को पता है कि यदि वे लड़कों की शिकायत करने घर तक पहुंच भी गए तो उन्हें कोई खास तवज्जो नहीं दी जाएगी। ऐसी स्थिति में वे लड़कों को मौका-ए-वारदात पर ही सजा दे देते हैं। उन्हें दो-एक डंडे जमा देते हैं या फिर वहीं सड़क पर मुर्गा बनने का फरमान जारी कर देते हैं। मरता क्या न करता के मुहावरे को जिन्दा रखने के ख्याल से ये प्रेमी किस्म के लड़के सिपाही जी के आदेश का पालन करके मुक्ति पा लेते हैं और अगली बार यदि प्यार करना पड़े तो कहीं और निकल जाते हैं।
ये सिपाही जी प्यार के इतने बड़े दुश्मन क्यों बन गए, इस बारे में कई तरह की बातें सुनने को मिलती हैं। ज्यादातर लोगों का मानना है कि जब इन सिपाही जी की उम्र प्यार करने की थी तो इन्होंने भी प्यार किसी का पाने का खूब प्रयास किया। पर दुर्भाग्य देखिए कि उस जमाने में न तो माउथ फ्रेशर जैसी कोई चीज होती थी और न ही कोई ऐसा टूथपेस्ट बनता था, जो इनके मुंह से आने वाली बदबू को मीठी खुश्बू में बदल दे। जब भी इन्होंने किसी लड़की का प्यार पाने का प्रयास किया मुंह की बदबू इनके लिए निराशाजनक साबित हुई। एक बार जो लड़की इनके पास आ जाती, बदबू के मारे दुबारा नहीं आती थी और किसी और से प्यार करने लगती थी। बताते हैं कि पहले इन्होंने मुंह की बदबू दूर करने वाली दवा बनाने की फैक्टरी लगाने की योजना बनाई थी, लेकिन ऐसा करने के लिए इन्हें किसी से पैसे नहीं दिए। तब इन्होंने ठान ली कि वे जमाने में किसी को भी प्यार नहीं ·रने देंगे। संयोग से वे पुलिस के सिपाही बन गए और अब अपनी लाठी और खाकी के बल पर प्यार नाम के चीज को मिटा देने के प्रयास में जुटे हुए हैं।
वैसे इस इलाके के वे सब लोग इनकी खूब तरफदारी करते हैं, जो सभी इन्हीं की तरह मुंह से आने वाली बदबू के मारे हुए हैं। बताते हैं कि एक बार पुलिस अफसर ने इनका तबादला कहीं और कर दिया तो मुंह की बदबू के कारण प्यार करने में नाकाम रहे इलाके के सभी लोग एकजुट हो गए। वे उस अफसर के पास गए, जिसने सिपाही जी का तबादला कर दिया था और सिपाही जी का तबादला रुकवा दिया। नतीजा यह हुआ कि वे अब कई सालों से शहर के इसी इलाके में तैनात हैं और आने वाले सालों में भी यहीं रहेंगे, क्योंकि मुंह की बदबू के मारे लोगों की यहां एक यूनियन बन गई है, इस यूनियन ने घोषणा की है कि यदि सिपाही जी को यहां से कहीं और भेजा गया तो वे चुप नहीं बैठेंगे।
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