
आज यानी एक फरवरी को मैं 46 साल का हो गया। आपको विश्वास नहीं हो पा रहा है ना, मुझे भी नहीं हो रहा है। दरअसल पिछले पांच साल से मैं हर एक फरवरी को 40 साल का हो रहा था, लेकिन इस बार इस ऑरकुट और फेसबुक ने सारा गुड़ गोबर कर दिया, वरना विश्वास मानिये कि इस बार भी मैं 40 साल का ही होता और शायद आने वाले चार-पांच साल तक भी 40 का ही रहता। पर क्या है कि वो इन दोनों साइटों पर मेरे तमाम दोस्तों और उसके दोस्तों के दोस्तों को मेरी असली उम्र पता चल गयी, सो मजबूरी में मुझे में 40 से पूरे छह साल की छलांग लगाकर 46वें में पहुंचना पड़ा।
वैसे आपकी जानकारी के लिए एक बात और बता दूं। इन साइटों पर अब भी मेरी उम्र 44 बताई जा रही है। असल में चालाकी से मैंने इन साइटों में अपना फर्जी यानी सर्टिफिकेट वाला जन्म वर्ष डाल दिया है। हां, तिथि यानी एक फरवरी असली वाली ही डाली है। अत: साइटों पर देखकर जो लोग मेरी उम्र 44 मान रहे हैं, वे असली उम्र नोट कर लें, और जो लोग मेरे कहे अनुसार अभी तक इस भ्रम में थे कि मैं 40 का हूं वे भी अपनी जानकारी दुरुस्त कर दें। यहां मैं आपको यह भी बताना चाहता हूं कि देखकर कोई मुझे 46 का नहीं बता सकता। मैंने शीशे में आज से खुद को काफी देर तक देखा तो 46 से काफी का कम का लगता हूं। दिल को बहलाने के लिए गालिब ये ख्याल अच्छा है, क्यों?
एक बात मेरी समझ में नहीं आई, जाहिर है कि मेरी समझ में ही नहीं आई तो आपकी समझ में क्या आएगी, कि हम अपनी उम्र छिपाते क्यों हैं। मैं तो लोगों से ही क्या खुद से भी लगातार अपनी उम्र छिपाता रहा हूं। सिर के बाल काले करके रखता हूं, हां, दाढ़ी को जरूर मैंने सफेद दिखने की छूट दे दी है, ताकि लोगों की हंसी का पात्र न बन जाऊं। वैसे उम्र इतनी हो जाने के बावजूद मन से मैं इतना अधेड़ नहीं हुआ हूं। इस लिहाज से आप मुझे दुर्जन भी कह सकते हैं, दरअसल एक जगह मैंने पढ़ा था कि सज्जन पुरुष शरीर से जवान होने के बावजूद मन से बूढ़े होते हैं और दुर्जन शरीर से बूढ़े हो जाने के बाद भी मन से जवान रहते हैं। इस कहावत के अनुसार मैं खुद को दुर्जन मान लेने के लिए तैयार हूं, लेकिन बूढ़ा बनने के लिए किसी भी हालत में तैयार नहीं हूं।
सवाल फिर वही कि हम अपनी उम्र छिपाते क्यों हैं? हो सकता है उम्र छिपाने के पीछे सबके अपने-अपने कारण होते हों, लेकिन जहां तक मैं सोचता हूं मैं इसलिए अपनी उम्र छिपाता रहा कि जब भी मैंने अपनी उम्र और उपलब्धियों के बारे में सोचा तो मुझे निराशा हुई। मैंने इस उम्र तक पहुंच जाने के बावजूद कुछ नहीं किया, सिवाय किसी तरह धक्के मारकर अपने बच्चों को पालने के। अब तक मुझे बहुत कुछ लिख लेना चाहिए था, लेकिन नहीं लिख पाया। अखबार के नौकरी के साथ दरअसल रचनात्मक लेखन संभव भी नहीं है। अखबारों में मेरे स्तर के कर्मचारियों का बेदर्दी से दोहन किया जाता है। दरअसल अखबारों में नालायकों की भरमार है, इस तरह के लोग अधिकारियों की चापलूसी करके अपनी नौकरी बरकरार रखते हैं, ऐसे में मेरे जैसे लोग जिनको न अधिकारियों के चरण छूने की आदत होती है और न ही उनके सामने बैठकर चापलूसी करने की, उनके पास अपने बच्चों का पेट पालने के लिए एक ही चारा रह जाता है, कमरतोड़ मेहनत करो और अधिकारियों का डांट खाओ। दरअसल चापलूस नालायकों के हिस्से का काम भी मेरे जैसों को करना ही पड़ता है, जिनका कोई माई-बाप नहीं होता और उनके हिस्से की डांट भी खानी पड़ती है। चापलूस चौड़े होकर अधिकारी के सामने वाली चैयर पर बैठकर कॉफी गटक रहे होते हैं और मेरे जैसा खड़ा होकर डांट खा रहा होता है। कमर टूटने की हद तक की मेहनत और अधिकारी की हर रोज की डांट-फटकार के बाद आखिर रचनात्मक लेखन के लिए गुंजाइश ही कहां रह जाती है?
लेखन न सही, इतना पैसा ही मैं कमा चुका होता कि आगे की जिन्दगी कुछ आराम से कट जाती और बच्चों को पढ़ाने की चिन्ता से मुक्ति मिल जाती, लेकिन ऐसा भी मैं नहीं कर पाया। एक छत की छांव तक संभव नहीं हो पाई। किराये के कमरे में गुजारा करना और किसी तरह खींचतान कर घर का और बच्चों की पढ़ाई का खर्च चलाना, यही होता रहा। इन परिस्थितियों मैं अक्सर खुद से ही अपनी उम्र छिपाता फिरता रहा, यह सोचकर कि अगले दो तीन साल में इतना पैसा कमा लूं तो कि उम्र और उपलब्धियों की बीच की खाई खत्म हो जाए, लेकिन आज तक न इतना पैसा कमा पाया और न ही इतना लेखन कर पाया, लिहाजा बिना कोई उपलब्धि हासिल किये ही मुझे आज इस 46वें साल में अपनी असली उम्र में आना पड़ गया, क्योंकि अब मुझे नहीं लगता कि उम्र और उन्नति की इस खाई को कभी पाट पाऊंगा। उम्र लगातार बढ़ती जा रही है, उपलब्धियों के नाम पर आज भी सिर्फ पेट भराई तक ही सीमित रह गया हूं। ऐसे में अब उम्र छिपाने का कोई मतलब नहीं रह गया है।
अब आप सभी लोगों से उम्मीद करूंगा कि मुझे मेरे 46 वें जन्म दिन पर, और हां आज की मेरी शादी की 22वीं सालगिरह भी है, इसलिए मेरी शादी की 22वीं सालगिरह पर मुझे शुभकामनाएं जरूर दें। वैसे आप न भी तो कोई बात नहीं, मेरी ओर से जो देगा उसको भी धन्यवाद और जो नहीं देगा उसको भी धन्यवाद।