Friday, March 18, 2011

भांति-भांति के रंग


लाल, हरा, पीला, नीला, बैंगनी....
यही कुल मिलाकर सात रंग
कुल सात रंगों में रची-बची होली
बस सात रंग
पर जब होली नहीं होती
असली रंग तो तब दिखते हैं
आदमी के चेहरे पर
आदमी की फितरत में
आदमी की बातों में
आदमी के मंसूबों में
एक ही रंग में कई रंग
सब कुछ गड्ड-मड्ड
चेहरे पर उजला
बातों में सुनहरा
मुस्कान गुलाबी
और भी न जाने कितने-कितने
खूबसूरत... रंग
पर
सब रंगों के भीतर
कहीं उथले तो कहीं गहरे में
सिमट कर बैठा गहरा काला रंग
इस प्रतीक्षा में कि
समय मिले और
मटियामेट कर दे
सभी रंगों का अस्तित्व ...

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बसुकेदार रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड, India
रुद्रप्रयाग जिला के बसुकेदार गाँव में श्री जनानन्द भट्ट और श्रीमती शांता देवी के घर पैदा हुआ। पला-बढ़ा; पढ़ा-लिखा और २४साल के अध्धयन व् अनुभव को लेकर दिल्ली आ गया। और दिल्ली से फरीदाबाद। पिछले १६ साल से इसी शहर में हूँ। यानी की जवानी का सबसे बेशकीमती समय इस शहर को समर्पित कर दिया, लेकिन ख़ुद पत्थर के इस शहर से मुझे कुछ नही मिला.